थहोवा का धन्थवाद हो -(3) हो मेरे मन गा तू
मेर प्राण ओर सब कुछ मेरा करे स्तुति
कर स्तुति उसके पाक की
हे मेरे मन तून भूलन उपकार को उसक
पापाें को वह है मिटाता , है मिटाता
रोगें से चंगा वह करता, है वह करता
तुझ नाश होने से वह है वचाता,
तुझ पर करुण का ताज रख़ता
प्रभु दथा का सागर ,हाँ सागर
नहीं क्रोधी वह सदा तक,वह सदा तक
पूरब से प पश्चिम जितनी है दूर ,
उतने ही करता पाप हमारे दूर
इन्सान है फूल के मानिन्द हाँ मानिन्द
कुछ पल खिला,मुर्झाया हाँ मुर्झाया
प्रभु के लोगें पर उसकी दथा तक बनी रहती है
मेर प्राण ओर सब कुछ मेरा करे स्तुति
कर स्तुति उसके पाक की
हे मेरे मन तून भूलन उपकार को उसक
पापाें को वह है मिटाता , है मिटाता
रोगें से चंगा वह करता, है वह करता
तुझ नाश होने से वह है वचाता,
तुझ पर करुण का ताज रख़ता
प्रभु दथा का सागर ,हाँ सागर
नहीं क्रोधी वह सदा तक,वह सदा तक
पूरब से प पश्चिम जितनी है दूर ,
उतने ही करता पाप हमारे दूर
इन्सान है फूल के मानिन्द हाँ मानिन्द
कुछ पल खिला,मुर्झाया हाँ मुर्झाया
प्रभु के लोगें पर उसकी दथा तक बनी रहती है
Yhovaa kaa dhanthvaad ho -(3)
Ho mere man gaa tu
Ho mere man gaa tu
Mer praan or sab kuchh meraa kare stuti
Kar stuti uske paak ki
He mere man tun bhulan upkaar ko usak
Paapaaen ko vah hai mitaataa , hai mitaataa
Rogen se changaa vah kartaa, hai vah kartaa
Tujh naash hone se vah hai vachaataa,
Tujh par karun kaa taaj rakhtaa
Prabhu dathaa kaa saagar ,haan saagar
Nahin krodhi vah sadaa tak,vah sadaa tak
Purab se p pashchim jitni hai dur ,
utne hi kartaa paap hamaare dur
ensaan hai phul ke maanind haan maanind
kuchh pal khilaa,murjhaayaa haan murjhaayaa
prabhu ke logen par uski dathaa tak bani rahti hai
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