ए- रूह- ए- इलाही, मेरे दिल में
मसीहा का जलवा मुझे कर आता
1 ए रूह ए अक दस, ए रूहे खुदा
तू कुलवंत से अपनी, मेरे दिल में आ
हकीक़त का जलवा मुझे कर अदा
2 जहँ तेरी जुम्बरा से पौदा हुआ
मसीहा का जलवा मुझे कर आता
1 ए रूह ए अक दस, ए रूहे खुदा
तू कुलवंत से अपनी, मेरे दिल में आ
हकीक़त का जलवा मुझे कर अदा
2 जहँ तेरी जुम्बरा से पौदा हुआ
मैं हँ नीम जाँ मुझको फिर से जिला
रवताक़ार दिल की कसाफत मिटा
3 तू बस आग है, जो कि नाज़िल हुई
जो नबियों को राजा में हासिल हुई
नई ज़िन्दगी जिस से क़ामिल हुई
4 ऐ नूर ए नबूवत सहीफ़ों की जांच
है बख़्शिश से तेरी ,मसी पर ईमान
तू ही रास्तबाज़ें का रहस्य हर आन
रवताक़ार दिल की कसाफत मिटा
3 तू बस आग है, जो कि नाज़िल हुई
जो नबियों को राजा में हासिल हुई
नई ज़िन्दगी जिस से क़ामिल हुई
4 ऐ नूर ए नबूवत सहीफ़ों की जांच
है बख़्शिश से तेरी ,मसी पर ईमान
तू ही रास्तबाज़ें का रहस्य हर आन
Aye- ruh -aye -elaahi, mere dil men
masihaa kaa jalvaa mujhe kar aataa
1 Aye ruh aye ak das, aye ruhe khudaa
Tu kulavant se apni, mere dil men aa
Hakikat kaa jalvaa mujhe kar adaa
2 Jahn teri jumbraa se paudaa huaa
Main hn nim jaan mujhko phir se jilaa
Ravtaakaar dil ki kasaaphat mitaa
3 Tu bas aag hai, jo ki naajil hui
Jo nabiyon ko raajaa men haasil hui
Nayi jindgi jis se kaamil hui
4 Ai nur aye nabuvat sahiphon ki jaanch
Hai bakhshish se teri ,masi par imaan
Tu hi raastbaajen kaa rahasy har aan
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